" दाल औ प्याज की बढ़ते रुख पर सरकार बदलती है ,,
कहते वही लोग क्या किया सरकार ने किसान के लिए ||
कहते वही लोग क्या किया सरकार ने किसान के लिए ||
नमकीन काजू साथ लेके जाम शाम से रंगीन है फिजा
मशवरा के ठाठ कितने जबर्दस्त गरीब इंसान के लिए ||
मशवरा के ठाठ कितने जबर्दस्त गरीब इंसान के लिए ||
अरे गरीबों मर रहे हो क्यूँ तुम अभी बिमारी औ भूख से
संसद को वक्त ही न छोड़ा किसी की भूख प्यास के लिए ||" ---- विजयलक्ष्मी
संसद को वक्त ही न छोड़ा किसी की भूख प्यास के लिए ||" ---- विजयलक्ष्मी
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