" तुम जब से खुदा हो गये ,,
जिन्दगी से जुदा हो गये..||
जिन्दगी से जुदा हो गये..||
छूटती नहीं आदत हमारी,,
बेमुरव्वत सी सदा हो गये..||
बेमुरव्वत सी सदा हो गये..||
झांकना दिल के आईने में,,
बड़ी खूबसूरत सजा हो गये..||
बड़ी खूबसूरत सजा हो गये..||
न दीपक न अजान ओ नमाज
कलम ए इबादत अता हो गये..||
कलम ए इबादत अता हो गये..||
मौसम पतझड़ होगा नहीं,,
राह ए वफा में फना हो गये..||
राह ए वफा में फना हो गये..||
दीन ओ इमां मुहब्बत हुआ,,
लम्हे वफा की अना हो गये ..||
लम्हे वफा की अना हो गये ..||
सियासत ए रियासत .न पूछ,,
घोटाला ए किस्सात जमा हो गये..||
घोटाला ए किस्सात जमा हो गये..||
रूहें खुदाई ... देह पंचभूती,,
वेदांत क्यूँकर खफा हो गये..||
वेदांत क्यूँकर खफा हो गये..||
गिद्ध लिए देखे सिद्ध दृष्टि,,
सिद्दांत सारे हवा हो गये ..||
सिद्दांत सारे हवा हो गये ..||
हाँ ,,ये मानस ... वो मिडिया
उजड़ते सच के निशाँ हो गये ..||
उजड़ते सच के निशाँ हो गये ..||
मत छोड़ना पकड़े लुटेरे ,,
ये न्याय वाले कहाँ सो गये || "-
ये न्याय वाले कहाँ सो गये || "-
--- विजयलक्ष्मी
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