Thursday, 17 December 2015

"राष्ट्र को गुनाह के रास्ते मत भेजो .. "

" अरे ओ विपक्ष सुनो,,अब संसद चलने दो ,
युवा होते लोकतंत्र को अब सम्भलने दो.
बहुत हुआ परिवारवाद राष्ट्रीयता को उबलने दो.
खूबियों से भरा है भारत हुनर को निखरने दो
मेहनत से यहाँ कोई नहीं डरता,,समझना मत चापलूसों के आगे वश नहीं चलता है
एक हेराल्ड ही भारत विकास का विकल्प नहीं हो सकता..
सुना है जी एस टी देश की किस्मत बदल सकता है
संसद को रोक व्यर्थ खून नहीं उबल सकता है
पैरों पर खड़े होने दो देश को बैसाखियों के भरोसे कब तक चल सकता है
तुम कहते हो गाँधी पटेल सब तुम्हारी बपौती है
बस इतना बतलाओ सडसठ बरस बाद भी जनता क्यूँ रोतीं है
जहरीली हुई हवा क्यूँ ...खेत उजड़े पड़े हैं ..
जंगल थे जितने आधे से ज्यादा क्यूँ उधड़े पड़े हैं
तुम तो सेकुलर थे फिर मन्दिर मस्जिद क्यूँ उलझे पड़े हैं
बहुत हुआ तुम्हारा देश भडकाने का पंगा...
सम्भल जाओ तेईस जनवरी को होगा कांग्रेसी इतिहास भी नंगा
जब सुभाष की सारी बाते होंगी सामने ..
क्यूँ पड़ा छोड़ना देश आजादी के बाद में ..
तुमने वीर सुभाष औ आजाद भगत का मजाक बना डाला
शहीद हुए वतन पर उनको आतंकी बता डाला ..
मत भूलो सहिष्णुता इस देश का संस्कार है ,,,
याद रखना मगर पृथ्वीराज औ राणा प्रताप की आज भी देश में भरमार है
इसलिए कहते हैं अभी समय है चेतो ..
राष्ट्र को गुनाह के रास्ते मत भेजो ..
अरे ओ विपक्ष सुनो,,अब संसद चलने दो ,
युवा होते लोकतंत्र को अब सम्भलने दो.
बहुत हुआ परिवारवाद राष्ट्रीयता को उबलने दो.
खूबियों से भरा है भारत हुनर को निखरने दो "---- विजयलक्ष्मी

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