" सच बांदी बनाई झूठ की ,,
ईमानदार भी गुनहगार है .
ईमानदार भी गुनहगार है .
सच को तवायफ बना दिया
सब तलबगार ही गुनहगार है
सब तलबगार ही गुनहगार है
झूठ से निकाह सच को तलाक
वैमनस्य के भी रिश्तेदार हैं .
वैमनस्य के भी रिश्तेदार हैं .
गिनो गुनाह ईमान से ही
यहाँ बेवफा ही तलबगार है
यहाँ बेवफा ही तलबगार है
मुर्दादिल लोगो से बचे कैसे
वो झूठ के ही मददगार है " ----- विजयलक्ष्मी
वो झूठ के ही मददगार है " ----- विजयलक्ष्मी
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