" वो निशाँ धुंधलाये कब जिनसे तुम गुजरे ,,
हमे छाँव वही मिली जो वृक्ष लगाये तुमने ||
हमे छाँव वही मिली जो वृक्ष लगाये तुमने ||
वाह चापलूसी, कहानी पुरानी किरदार नये,,
रसोइये औ नौकर गद्दी पर ठहराए तुमने ||
रसोइये औ नौकर गद्दी पर ठहराए तुमने ||
कौन बतायेगा है सियासत कैसी नेतागिरी ,,
न्याय पुकारे, संसद में जाम लगाये तुमने ||
न्याय पुकारे, संसद में जाम लगाये तुमने ||
चप्पलों की बात में भला क्या धरा है अब ,,
स्वार्थहित सधे राजनैतिक दांव लगाये तुमने ||
स्वार्थहित सधे राजनैतिक दांव लगाये तुमने ||
जांचने करने को कहा था हमने तो मजाक में,,
न्यायिक जमाती सच में पीछे लगाये तुमने ||
न्यायिक जमाती सच में पीछे लगाये तुमने ||
मानो सियासी जालसाजी है पुश्तैनी धंधा ,,
जाँचकर्ता ईमानदार क्यूँ पीछे लगाये तुमने || " ---- विजयलक्ष्मी
जाँचकर्ता ईमानदार क्यूँ पीछे लगाये तुमने || " ---- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment