" सुंदरकाण्ड से जुड़ी 5 अहम बातें "
1. सुंदरकाण्ड का नाम सुंदरकाण्ड क्यों रखा गया?
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🏻हनुमानजी, सीताजीकी खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे। पहला सुबैल पर्वत, जहांके मैदान में युद्ध हुआ था।दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत,जहां अशोक वाटिका निर्मित थी। इसी अशोक वाटिका में हनुमानजी और सीताजीकी भेंट हुई थी। इस काण्ड की यही सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकाण्ड रखा गया है।
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🏻हनुमानजी, सीताजीकी खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे। पहला सुबैल पर्वत, जहांके मैदान में युद्ध हुआ था।दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत,जहां अशोक वाटिका निर्मित थी। इसी अशोक वाटिका में हनुमानजी और सीताजीकी भेंट हुई थी। इस काण्ड की यही सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकाण्ड रखा गया है।
2. शुभ अवसरों पर ही सुंदरकांड का पाठ क्यों?
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🏻शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासद्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। शुभकार्यों की शुरुआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गयाहै।जब भी किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हों, कोई काम नहीं बन रहा हो, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं। कई ज्योतिषी और संत भी विपरीत परिस्थितियों में सुंदरकांड का पाठ करने की सलाह देते हैं।
3. जानिए सुंदरकांड का पाठ विशेष रूपसे क्यों किया जाता है?
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🏻माना जाता है कि सुंदरकाण्ड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। सुंदरकाण्ड के पाठ से बजरंग बली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से इसका पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस काण्ड में हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है। इसी वजह से सुंदरकाण्ड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद
किया जाता है।
4. सुंदरकांड से मिलता है मनोवैज्ञानिक लाभ
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🏻वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण-श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का कांड है। मनोवैज्ञानिक
नजरिए से देखा जाएतो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है। सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
5. सुंदरकाण्ड से मिलता है धार्मिक लाभ
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🏻सुंदरकांड के लाभ से मिलता है धार्मिक लाभ हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। बजरंग बली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं, इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकांड का पाठ करना है। सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी के साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।किसी भी प्रकार की परेशानी हो,सुंदरकांड के पाठ से दूर हो जाती है। यह एक श्रेष्ठ और सबसे सरल उपाय है। इसी वजह से काफी लोग सुंदरकांड का पाठ नियमित रूप करते हैं।
सुंदरकांड को माना जाता है श्रेष्ठ
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🏻हनुमानजी जो कि वानर थे, वे समुद्रको लांघकर लंका पहुंच गए और वहां सीता की खोज की। लंका को जलाया और सीता का संदेश लेकर श्रीराम के पास लौट आए। यह एक भक्त की जीत का कांड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। सुंदरकांड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं। इसलिए पूरी रामायण में सुंदरकांड को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है। इसी वजह से सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से किया जाता है।
जय श्री राम
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