मनाना आता गर तो मना लेते तुमको हम ,
जानते हैं यूँही रूठना तुम्हे भाता है बहुत .
सरहद पर अश्क ,अश्क में अक्स तुम्हारा ही
झूठे बोला मुझसे,तैरना तुम्हे भाता है बहुत .
एक समन्दर है अन्दर तेरे मेरे अहसास का
कश्ती सी यादें है , तुफाँ भी तो आता है बहुत .
डूबता उतरता है सूरज यादों के समन्दर में ही
जाने सहर कब होगी, इन्तजार सताता है बहुत .
उलझने दुनियावी दिल समझना ही नहीं चाहता
पिया अहसास ए दरिया पर प्यास बताता है बहुत .- विजयलक्ष्मी
जानते हैं यूँही रूठना तुम्हे भाता है बहुत .
सरहद पर अश्क ,अश्क में अक्स तुम्हारा ही
झूठे बोला मुझसे,तैरना तुम्हे भाता है बहुत .
एक समन्दर है अन्दर तेरे मेरे अहसास का
कश्ती सी यादें है , तुफाँ भी तो आता है बहुत .
डूबता उतरता है सूरज यादों के समन्दर में ही
जाने सहर कब होगी, इन्तजार सताता है बहुत .
उलझने दुनियावी दिल समझना ही नहीं चाहता
पिया अहसास ए दरिया पर प्यास बताता है बहुत .- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment