अब हवा बन उड़ गया गम ...नजरों से दीदार हुआ जब ,
तुमबिन दर्द भी बरसा बादलों सा तेरा इंतजार हुआ जब.
तुमको कितना अपना कह दूँ मुश्किल इजहार हुआ अब,
तुम बिन इन सांसों का आना, जीना ही बेकार हुआ अब .
मतलब क्या समझाऊँ तुमको ,पल पल बेकरार हुआ जब,
नयनों को दर्पण कर बैठे हम ,नजरों से इजहार हुआ जब .
जख्म करीने से बैठे थे मन के आँगन में सत्कार हुआ जब ,
झूल गया मन सागर बन, ख्वाब रुपैहला पतवार हुआ जब .
चटक चाँदनी बिखरी अंगना ,खुद अपना संसार हुआ जब,
नाच उठा मन मयूर, पतझड बिछड़ा जीवन बहार हुआ जब....विजयलक्ष्मी
तुमबिन दर्द भी बरसा बादलों सा तेरा इंतजार हुआ जब.
तुमको कितना अपना कह दूँ मुश्किल इजहार हुआ अब,
तुम बिन इन सांसों का आना, जीना ही बेकार हुआ अब .
मतलब क्या समझाऊँ तुमको ,पल पल बेकरार हुआ जब,
नयनों को दर्पण कर बैठे हम ,नजरों से इजहार हुआ जब .
जख्म करीने से बैठे थे मन के आँगन में सत्कार हुआ जब ,
झूल गया मन सागर बन, ख्वाब रुपैहला पतवार हुआ जब .
चटक चाँदनी बिखरी अंगना ,खुद अपना संसार हुआ जब,
नाच उठा मन मयूर, पतझड बिछड़ा जीवन बहार हुआ जब....विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment