जिन्दा भी अधूरा ही रहा हर शख्स उम्रभर ,
"पूरा हो गया " सांस निकली जिस घड़ी.
न बसा सका खुद को रहा इक जगह उम्रभर
मौत ने खटखटाया "चल बसा" जिस घड़ी
यही सुन बड़ा हुआ तुम सुधरोगे नहीं उम्रभर
"भला आदमी" बना चार काँधे सवार जिस घड़ी
झूठ का पुलिंदा बंधा रहा जिसके साथ उम्रभर
स्वर्ग का वाशिंदा हुआ ,पूरा हुआ जिस घड़ी
मनमानी करते रहे जो लिया न प्रभु नाम उम्रभर
"राम नाम सत्य है" कहे देह ठिकाने लगाई जिस घड़ी .- विजयलक्ष्मी
"पूरा हो गया " सांस निकली जिस घड़ी.
न बसा सका खुद को रहा इक जगह उम्रभर
मौत ने खटखटाया "चल बसा" जिस घड़ी
यही सुन बड़ा हुआ तुम सुधरोगे नहीं उम्रभर
"भला आदमी" बना चार काँधे सवार जिस घड़ी
झूठ का पुलिंदा बंधा रहा जिसके साथ उम्रभर
स्वर्ग का वाशिंदा हुआ ,पूरा हुआ जिस घड़ी
मनमानी करते रहे जो लिया न प्रभु नाम उम्रभर
"राम नाम सत्य है" कहे देह ठिकाने लगाई जिस घड़ी .- विजयलक्ष्मी
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