Wednesday 20 November 2013

न शिकवा है न कोई शिकायत है ..

न शिकवा है न कोई शिकायत है .
सच है यारा मुहब्बत भी अदावत है 

राह ए वफा ए मुहब्बत जिन्दगी में ,
कैसे कहे तुमसे हमे कोई शिकायत है .

न गम कोई छूता है तन्हाई का यूंतो 
मगर तन्हा है हम ये कैसी अदावत है .

लम्हा लम्हा लिखा है नाम अब तेरे 
कैसे कहे जिन्दगी तुझसे बगावत है .

ये जो राह तुम तलक पहुंची है यार
लगता है खुद से खुद की बगावत है .- विजयल
क्ष्मी

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