न शिकवा है न कोई शिकायत है .
सच है यारा मुहब्बत भी अदावत है
राह ए वफा ए मुहब्बत जिन्दगी में ,
कैसे कहे तुमसे हमे कोई शिकायत है .
न गम कोई छूता है तन्हाई का यूंतो
मगर तन्हा है हम ये कैसी अदावत है .
लम्हा लम्हा लिखा है नाम अब तेरे
कैसे कहे जिन्दगी तुझसे बगावत है .
ये जो राह तुम तलक पहुंची है यार
लगता है खुद से खुद की बगावत है .- विजयलक्ष्मी
सच है यारा मुहब्बत भी अदावत है
राह ए वफा ए मुहब्बत जिन्दगी में ,
कैसे कहे तुमसे हमे कोई शिकायत है .
न गम कोई छूता है तन्हाई का यूंतो
मगर तन्हा है हम ये कैसी अदावत है .
लम्हा लम्हा लिखा है नाम अब तेरे
कैसे कहे जिन्दगी तुझसे बगावत है .
ये जो राह तुम तलक पहुंची है यार
लगता है खुद से खुद की बगावत है .- विजयलक्ष्मी
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