दिखते हैं कितने ही रंग मगर खुद में बेजार हैं ,
हर दूसरे आदमी के हाथ में देख लो हथियार हैं ||
हर दूसरे आदमी के हाथ में देख लो हथियार हैं ||
यूंतो पिता के दिल की धडकन होती हैं बेटिया,
दहेज दानव के उत्पीडन से पिता भी लाचार हैं ||
दहेज दानव के उत्पीडन से पिता भी लाचार हैं ||
यूंतो बिन औरत के ये दुनिया नहीं चलने वाली ,
देह बाजार हो या हो विज्ञापन बिकती नार है ||
देह बाजार हो या हो विज्ञापन बिकती नार है ||
फूल की बात करने वाले भी कली को नोचते हैं ,
पुरुष कैसे है वो करते बच्ची संग बलात्कार हैं ||
पुरुष कैसे है वो करते बच्ची संग बलात्कार हैं ||
जुल्म की बात करूँ या सुनाऊँ ज्ञान गीता का ,
वो भीतर झांकते कब हैं ,खरीदने को तैयार हैं ||
वो भीतर झांकते कब हैं ,खरीदने को तैयार हैं ||
हाथ में बंदूकें औ बातो में दुराव भरा है जिनके ,
बिलखती मानवता आज उन्ही से शर्मसार है || ---- विजयलक्ष्मी
बिलखती मानवता आज उन्ही से शर्मसार है || ---- विजयलक्ष्मी
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