हाँ ,समन्दर होगा बड़ा ...
घेरे होगा बाहों में धरा
जल होता है उसका खारा
मैंने पीकर देखा इक बार
मेरी प्यास नहीं बुझी ..... और तुम्हारी .... ? -------- विजयलक्ष्मी
घेरे होगा बाहों में धरा
जल होता है उसका खारा
मैंने पीकर देखा इक बार
मेरी प्यास नहीं बुझी ..... और तुम्हारी .... ? -------- विजयलक्ष्मी
पहाड़ी झरने भले ,
कम दूर चले
मगर जितना भी चले
मीठे ही रहे
न रंग बदला न ढंग
बस उम्र जरा छोटी ठहरी ------ विजयलक्ष्मी
कम दूर चले
मगर जितना भी चले
मीठे ही रहे
न रंग बदला न ढंग
बस उम्र जरा छोटी ठहरी ------ विजयलक्ष्मी
एक चातक
विकल
विचर रहा हू
नभ पर ,
मेरी नजर
बस
स्वाति बूँद पर --- विजयलक्ष्मी
विकल
विचर रहा हू
नभ पर ,
मेरी नजर
बस
स्वाति बूँद पर --- विजयलक्ष्मी
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