एक सत्य
देह बची है
नेह खो गया
इंसानियत मर चुकी है
अधर्म जिन्दा हो रहा है
बंदूक की आड़ में
जिसमे
न शिकवा न शिकायत
न शब्द न कयास
फैसला ....
और
मिलती है मौत धर्म के नाम पर
वो ....क्या कलंक कह दूं उसे
मानवता पर
ये कौन सा रास्ता है
जहां
मौत सबसे ऊपर बिराजी है
और बकाया ...........
सन्नाटा ,
खतरे में कौन है
" मौत के सौदागर "
जिन्दगी की राह में उगने लगी बंदूकें
स्कूल में ज्ञान नहीं बंदूक उगलती है मौत
जलती खौलती उबलती
फिर एक वादा ...खुद से
मौत देने का
कोई कार्टून ,,
बेइज्जत कर देता है रहनुमा को
जैसे वो मोहताज है
तुम्हारे फतवे का
बताओगे मुझे ..
जन्नत कौन जाएगा ...?
हत्यारा या हत्या का किरदार
किसपर रहमत बरसेगी ...?
समझ से परे सवाल ...?
जवाब लापता है ..
कोई है ..जिसे पता है ,
इमदाद किसकी ..
लाचारो की ..या गुनहगारो की
सुना है ..
आतंकवाद का धर्म नहीं ..
वो किसी का हमदर्द नहीं...
फिर बोलूं ..
कोई तो जारी करो
कही से तो जारी करो
विश्वास तारी हो
जिन्दगी सबपर भारी हो ..
जाने कब आएगा ..
आतंक के खिलाफ ..कोई
" एक फतवा " ---- विजयलक्ष्मी
देह बची है
नेह खो गया
इंसानियत मर चुकी है
अधर्म जिन्दा हो रहा है
बंदूक की आड़ में
जिसमे
न शिकवा न शिकायत
न शब्द न कयास
फैसला ....
और
मिलती है मौत धर्म के नाम पर
वो ....क्या कलंक कह दूं उसे
मानवता पर
ये कौन सा रास्ता है
जहां
मौत सबसे ऊपर बिराजी है
और बकाया ...........
सन्नाटा ,
खतरे में कौन है
" मौत के सौदागर "
जिन्दगी की राह में उगने लगी बंदूकें
स्कूल में ज्ञान नहीं बंदूक उगलती है मौत
जलती खौलती उबलती
फिर एक वादा ...खुद से
मौत देने का
कोई कार्टून ,,
बेइज्जत कर देता है रहनुमा को
जैसे वो मोहताज है
तुम्हारे फतवे का
बताओगे मुझे ..
जन्नत कौन जाएगा ...?
हत्यारा या हत्या का किरदार
किसपर रहमत बरसेगी ...?
समझ से परे सवाल ...?
जवाब लापता है ..
कोई है ..जिसे पता है ,
इमदाद किसकी ..
लाचारो की ..या गुनहगारो की
सुना है ..
आतंकवाद का धर्म नहीं ..
वो किसी का हमदर्द नहीं...
फिर बोलूं ..
कोई तो जारी करो
कही से तो जारी करो
विश्वास तारी हो
जिन्दगी सबपर भारी हो ..
जाने कब आएगा ..
आतंक के खिलाफ ..कोई
" एक फतवा " ---- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment