स्वागत है नये साल का ,
नये विचारों का
नवयुग का
बदलते लम्हों का
आप सबके प्यार का
प्रभु के साथ का
बडो के आशीर्वाद का
छोटो को प्यार ,,,
बडो को सम्मान
नववर्ष की शुभ एवं मंगलकामना !!.- विजयलक्ष्मी
नव कलैंडर वर्ष की शुभकामनाओ सहित ||
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" कलैंडर टंगा है अभी भी उसी दीवार पर ,,
टंगा था एक बरस पहले जहां ..
याद दिलाता था भुलिबिसरी सी दास्ताँ
उसपर लगे स्याही के निशान बताते थे हमे
कुछ छुट्टियां दिखती बन बच्चो की ख़ुशी
प्रेस के कपड़ो का हिसाब ,,दूध की गिनती ..
अखबार की अनुपस्थिति कुछ जन्मदिन कुछ सालगिरह
जीवन पूरे कर चुके दादा जी की तिथियाँ
बीमार दादी की दवाई लाने की तारीख
चाचा चाची की शादी का दिन ,,
मुन्नी के स्कूल की छुट्टियां
पप्पू के आने में बचे दिन
बेटी के ब्याह के महीने ..
बुआ को राखी भेजने की याद कराने की तारीख
गैया के बियाने की सम्भावित तारीख़
नानी के घर जाने का हिसाब
नवरात्र शिवरात्रि दर्शाती होली और दीवाली
कभी गुरु गोविन्दसिंह की याद ,,
कभी ईद की छुट्टी का निशान ,,कभी गुरुग्रंथ साहिब की अकीदत
पडोस में होने वाली रामायण और सुखमणी जी का पाठ ..
कुछ आवश्यक फोननम्बर थामे टंगा रहा मुस्तैद
जाने अनजाने देखते पढते मिलने के पल
जुड़ गयी थी जैसे जिन्दगी हर पल
इसे भी बदलना होगा बदलती तारीख के साथ ,,
गुजरते साल से कलैंडर की तरह ही गुजरना है हमे भी
दादा मामा की तरह लिखी जाएगी मेरी भी तारीख
किसी को सुख देगी किसी को आंसू ..,,छोड़ जाएगी कुछ अहसास
साल दर साल बदलते कलैंडर पर ..
कुछ खो जाएँगी कुछ स्मृति चिन्ह सी चलती चलेंगी
साल का आखिरी दिन ..
और ..बदल जायेगा ये कलैंडर भी दीवार से
उसी कील पर नया कलैंडर ,,जैसे बदल रहा है वस्त्र समय भी
यादों के झरोखों से झाँकने को मजबूर करते लम्हे
गुजर रहे हैं एक एक कर आँखों की गली से होकर || "
------- विजयलक्ष्मी
टंगा था एक बरस पहले जहां ..
याद दिलाता था भुलिबिसरी सी दास्ताँ
उसपर लगे स्याही के निशान बताते थे हमे
कुछ छुट्टियां दिखती बन बच्चो की ख़ुशी
प्रेस के कपड़ो का हिसाब ,,दूध की गिनती ..
अखबार की अनुपस्थिति कुछ जन्मदिन कुछ सालगिरह
जीवन पूरे कर चुके दादा जी की तिथियाँ
बीमार दादी की दवाई लाने की तारीख
चाचा चाची की शादी का दिन ,,
मुन्नी के स्कूल की छुट्टियां
पप्पू के आने में बचे दिन
बेटी के ब्याह के महीने ..
बुआ को राखी भेजने की याद कराने की तारीख
गैया के बियाने की सम्भावित तारीख़
नानी के घर जाने का हिसाब
नवरात्र शिवरात्रि दर्शाती होली और दीवाली
कभी गुरु गोविन्दसिंह की याद ,,
कभी ईद की छुट्टी का निशान ,,कभी गुरुग्रंथ साहिब की अकीदत
पडोस में होने वाली रामायण और सुखमणी जी का पाठ ..
कुछ आवश्यक फोननम्बर थामे टंगा रहा मुस्तैद
जाने अनजाने देखते पढते मिलने के पल
जुड़ गयी थी जैसे जिन्दगी हर पल
इसे भी बदलना होगा बदलती तारीख के साथ ,,
गुजरते साल से कलैंडर की तरह ही गुजरना है हमे भी
दादा मामा की तरह लिखी जाएगी मेरी भी तारीख
किसी को सुख देगी किसी को आंसू ..,,छोड़ जाएगी कुछ अहसास
साल दर साल बदलते कलैंडर पर ..
कुछ खो जाएँगी कुछ स्मृति चिन्ह सी चलती चलेंगी
साल का आखिरी दिन ..
और ..बदल जायेगा ये कलैंडर भी दीवार से
उसी कील पर नया कलैंडर ,,जैसे बदल रहा है वस्त्र समय भी
यादों के झरोखों से झाँकने को मजबूर करते लम्हे
गुजर रहे हैं एक एक कर आँखों की गली से होकर || "
------- विजयलक्ष्मी
सच कहां, समय के साथ
ReplyDeleteनव बर्ष की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in