Monday, 5 December 2016

" झंडे बेचते हैं साहेब देश की नीलामी नहीं करते || "

" पीपल के पेड़ पर दीपक जलाना अन्धविश्वास..
फिर क्रिसमस ट्र्रीपर लाइट लगाना अच्छा कैसे ?
तुम चादर चढाओ मुर्दों पर ,,,तुम्हे कब किसने रोका है 
लेकिन बतलाओ रंग खेलने पर मुझको क्यूँकर टोका है?
दीपावली पर जलते पटाखों से प्रदुषण भरता किलकारियां ,,
फिर नये साल पर अंग्रेजी क्यूँ होती आतिशबाजियां ?
अपने मजहब देहलीज के भीतर ही सजाओ ,,
राष्ट्रहित में ईमान से जमीर की बंशी बजाओ
जितनी आजादी सबको है उतनी हम भी मांगेगे
वरना सबको ही अब हम कानूनी खूंटी पर टांगेगे
मेहनत की कमाई है नमकहरामी नहीं करते
झंडे बेचते हैं साहेब देश की नीलामी नहीं करते ||
" -------- विजयलक्ष्मी

1 comment:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 06 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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