Thursday, 29 December 2016

" नौटंकी बाजो की कमी नहीं है यहाँ ,,"

1.पूजते खुदा को रहे ,
जो 
कलंदर हो गये !!
.
खंजर लिए है, 

मन 
बंजर हो गये !!
.
जलाये घर थे , 

जिनके
बेघर हो गये !!
.
लहराई तलवारें ,

खूनी
मंज़र हो गये !!
.
देखने सुनने वाले, 

सभी
पत्थर हो गये !!
.
इंसानियत का जनाजा ,

सबका
मुकद्दर हो गये
!!
--------- विजयलक्ष्मी




" नौटंकी बाजो की कमी नहीं है यहाँ ,,
इंसानों को इंसान कब समझते हैं लोग ,,
जलता है पश्चिमी बंगाल आग में ,,
सत्य कहने पर पुलिसिया रिपोर्ट करते है लोग 
नोट बंदी मुद्दा जिन्दा जानो से ज्यादा है ,,
जाने क्यूँ हकीकत बयानी से डरते हैं लोग
देह के हिस्से और मुहब्बत के किस्से ,,
बड़ी नजाकत भरी कलम से लिखते हैं लोग
रंज न लहू बहने से होता है न सत्य मरने से
सत्य कहना,सुनना भी कब पसंद करते हैं लोग
कलियुग आने का रंज है सभी को
खुद सतयुग सा व्यवहार नहीं करते है लोग
स्वच्छन्दता पर आमादा है ज्यादातर यहाँ
स्वतन्त्रता की मर्यादा कितनी मानते हैं लोग
आजादी बोलने की चाहिए सभी को ,,
मतलबी हिसाब से न्यायनीति चाहते हैं लोग "
. ------ विजयलक्ष्मी

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