प्यार ...... तो प्यार है ,, प्यार होना ही पाना होता है ,,उपस्थिति हीनता प्यार नहीं है ..... ,, बस थोडा सा स्वार्थ आता है तब सानिध्य चाहता है ,,,,, प्यार स्नेह मुहब्बत इश्क .... गर मीरा को समझ सको तो ,, द्वापर के कृष्ण को कलियुग में प्यार किया और साक्षात्कार भी ,,,, || मीरा को जब जब पढ़ा ..एक आलौकिकता का आभास होता है ,, सात्विक ,उज्ज्वल और सच्चे प्रेम की पराकाष्ठा का ऐसा उत्कृष्ट उदाहरण कहीं नहीं मिलता .. कृष्ण जो समकालीन भी नहीं थे मीरा के ... राधा तो कृष्ण की आराध्या थी इसीलिए राधा थी ...राधा जो कृष्ण रूप धारती है कृष्णमय हैं ,,,.मीरा के आराध्य कृष्ण हुए .... प्रेम की पराकाष्ठा देखिये कृष्ण के मृत्यु वरण के समय आराध्या राधा न थी ...किन्तु मीरा ने तो कृष्ण के सानिध्य में ही देह त्यागी ...... अतुलनीय है प्रेम और प्रेम दर्शन कराने वाली मीरा | नमन है उन्हें |
निश्छल स्वार्थ रहित प्रेम ..... स्वार्थ तो दुनियादारी है ,, प्रेम नहीं || ------- विजयलक्ष्मी
निश्छल स्वार्थ रहित प्रेम ..... स्वार्थ तो दुनियादारी है ,, प्रेम नहीं || ------- विजयलक्ष्मी
बदले कलेंडर के साथ २०१६ की अंतिम सुबह की कविता
ReplyDeleteप्यार से संसार के भाव में ......................सुप्रभात प्यार से प्यारे भारत
प्यार के आंसू नहीं उलझे ,
उलझे खुद हम होते हैं
आंसू तो सुलझे से बरसते हैं
जैसे दीवाने पागल मस्ताने से
तन्हाई की तनहा शून्य पुतलियों में
नील गगन के तले बादल जो चलते
जीवन की धरा पर बरसते हैं .
अक्सर प्यार में आंसू
सुलझी हुयी मुस्कान लिए
पीड़ाओं का सैलाब पिए
उलझाते हैं बरसात को
आंसू प्यार भरी आँखों से
धड़कन बन दिल तक जाते हैं
जन्म-जन्मान्तर तक पाते हैं
आंसू और प्यार अमर हो जाते हैं
फिर प्यार यह सुलझते हुए
आंसुओ की धार में बहते हुए
वक़्त की बेवफाई से
जीवन की तन्हाई में
सावन सा बरस पड़ता है
और जग कहता
प्यार रुलाता है
........................
क्योंकि प्यार के स्वर में
हम संसार का साज पाते हैं
हमने जो बोया था कभी
हम वही तो आज पाते हैं
आंसू में भी मुस्कान वो पाते हैं
जो प्यार को सदा निभाते हैं
मुफलिसी में भी मुस्कराते हैं
जो नफरत जग से मिटाते हैं
वही प्यार के आंसू पाते हैं.
...............
मन की घाटी में प्यार के बादल
पलकों से बेजार हो गिरते हुए
अबोल पीड़ा को बोल जाते हैं
पीड़ा कैसी भी हो,कितनी भी हो
आंसुओं से मन को सुलझाते हैं
प्यार भरे सपनो से सदा जग में
प्यार के सपने भर जाते हैं
प्यार दर्द है और दोस्त हमदर्द है
दर्द न रहे तो फ़कत ज़िन्दगी नहीं
.............................................
हाँ जग को रुलाता है प्यार
सहज और सरल बनाता है
प्यार श्याम की अभिव्यंजना
प्यार तो राधा की वंदना है
प्यार सोना है प्यार जगना है
प्यार हसना तो प्यार रोना है
जो मानवता की पहचान है
प्यार जीवन का अभिमान है
प्यार जनम है,प्यार मरण है
प्यार वतन है, प्यार सनम है
प्यार आध्यात्म है,प्यार दर्शन है
पर कहाँ आज प्यार की पहचान है
प्यार करते सभी मगर प्यार से
दूर बहुत दूर बहुत अनजान हैं ?
हाँ रुलाते है पर जीना सिखाते हैं
प्यार के आंसू
.........
.प्यार के.आंसू ......बड़े अनमोल हैं....अथाह ख़ुशी और पीड़ा के अबोल से बोल हैं.........आंसुओं से लिपटते हुए .....
@ अरविन्द योगी