कासिद ने खत नहीं भेजा ,,इन्तजार में रहे ,
किस्सा तमाम गोया किस किस से हम कहें .
झूठ को सच बनाने में लगे हैं सियासती बंदे
झूठ के पाँव नहीं होते किस किस से कहे हम .
विकास औ घोटाले बिखरे हैं चुनावी जमीं पर
शहादत नहीं जानते हैं किस किस से कहें हम.
उभरी इक इक इबारत, खुला यादों का सन्दूक
वीराना ए नखलिस्तान किस किस से कहे हम .
देशभक्तों पर भी अंगुली उठने लगी है आजकल
दलालो की तो मत सुनो किस किस से कहे हम - विजयलक्ष्मी
किस्सा तमाम गोया किस किस से हम कहें .
झूठ को सच बनाने में लगे हैं सियासती बंदे
झूठ के पाँव नहीं होते किस किस से कहे हम .
विकास औ घोटाले बिखरे हैं चुनावी जमीं पर
शहादत नहीं जानते हैं किस किस से कहें हम.
उभरी इक इक इबारत, खुला यादों का सन्दूक
वीराना ए नखलिस्तान किस किस से कहे हम .
देशभक्तों पर भी अंगुली उठने लगी है आजकल
दलालो की तो मत सुनो किस किस से कहे हम - विजयलक्ष्मी
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