आज तक भी खुद को ढूंढा किये हम
तन्हाई घर अपने ही लेकर गयी जो
चैन खोया किस गली इस दिल का
बेचैनी पता अपना बताकर गयी जो
खुद का पता हैं न आवाज ही अपनी
मुहर ए बेवफाई मुझपर लग गयी जो
रवायत ए मुहब्बत नहीं जानते हम
न आंसू मुकम्मल हंसी छीन गयी जो
मेले में तन्हा संग तन्हाइयो का मेला
सोचेंगे क्या खुदकी हालत हो गयी जो
राजदारी बता किसकी किससे करे हम
गुनहगारी मुख्तसर हमसे हो गयी जो --- विजयलक्ष्मी
तन्हाई घर अपने ही लेकर गयी जो
चैन खोया किस गली इस दिल का
बेचैनी पता अपना बताकर गयी जो
खुद का पता हैं न आवाज ही अपनी
मुहर ए बेवफाई मुझपर लग गयी जो
रवायत ए मुहब्बत नहीं जानते हम
न आंसू मुकम्मल हंसी छीन गयी जो
मेले में तन्हा संग तन्हाइयो का मेला
सोचेंगे क्या खुदकी हालत हो गयी जो
राजदारी बता किसकी किससे करे हम
गुनहगारी मुख्तसर हमसे हो गयी जो --- विजयलक्ष्मी
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