" कशिश है मगर कोशिश भी कम लगे ,
सियासती चालों में क़ानून कम लगे
तीर भी बनाये गुल उठाकर चमन से
मुश्किल यही है दुश्मन को बम लगे .
कहकर मौत का सौदागर चाबुक चलाया
तिस पर चीखता है अभी जख्म कम लगे
हकीकत बयाँ करूं ,नाराज न हो जाये
खुदगर्जी न पूछो कातिल भी हम लगे
चुनावी चूल्हा गर्म है आजकल देश में
राष्टीय विकास भी चुनावी तिलिस्म लगे "--- विजयलक्ष्मी
सियासती चालों में क़ानून कम लगे
तीर भी बनाये गुल उठाकर चमन से
मुश्किल यही है दुश्मन को बम लगे .
कहकर मौत का सौदागर चाबुक चलाया
तिस पर चीखता है अभी जख्म कम लगे
हकीकत बयाँ करूं ,नाराज न हो जाये
खुदगर्जी न पूछो कातिल भी हम लगे
चुनावी चूल्हा गर्म है आजकल देश में
राष्टीय विकास भी चुनावी तिलिस्म लगे "--- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment