" जिंदगी भी एक रवायत ही तो है ..
हर इक को मगर शिकायत ही तो है
धरा पर जिन्दगी की तमन्ना ,
मिलना सूरज का इनायत ही तो है
दुन्दुभी के राग रणभेरी बजना
तड़तड़ाना नगाड़ा बगावत ही तो है
अंधेरो को जीतने की चाहत में
जलना पतंगे सा अदावत ही तो है
महकी पतझड़ की बसंती बयार
चटकना कली का रवायत ही तो है "-- विजयलक्ष्मी
हर इक को मगर शिकायत ही तो है
धरा पर जिन्दगी की तमन्ना ,
मिलना सूरज का इनायत ही तो है
दुन्दुभी के राग रणभेरी बजना
तड़तड़ाना नगाड़ा बगावत ही तो है
अंधेरो को जीतने की चाहत में
जलना पतंगे सा अदावत ही तो है
महकी पतझड़ की बसंती बयार
चटकना कली का रवायत ही तो है "-- विजयलक्ष्मी
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