" गीले से रंग देकर मुझे दिल के,
पूछते हो,, मुस्कुराने का सबब||
मेहँदी में ख्वाब पलको में सुरत
पूछते हो,,आंसू बहाने का सबब||
अरमानों की महफिल लगाकर
पूछते हो,,दामन उड़ाने का सबब||
लहर उम्मीद की अहसास की कश्ती
पूछते हो ,,डूबने उतराने का सबब||
गुजरे तूफ़ान औ सुनामी सा छूकर
पूछते हो ,,कयामत आने का सबब|| "
---- विजयलक्ष्मी
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