मेरा देवता पत्थर का ...इल्जाम सारे मुझपर .
मैं पत्थरदिल पत्थर से इल्तजा भी क्या करूं ----- विजय
छायाचित्र छोड जिसने मुडकर भी न देखा कई प्रहर
शिकवा शिकायत उन्ही का ,,,हम मिलने नहीं आते ---- विजय
" सजदा ए तहरीर जिसकी बैठा किये पल पल ,
इल्जाम भी उन्ही का है.. हम काफ़िर हो गये " --- विजय
वो हंसते भी आँखों में है रोते भी आँखों में ,
रहने लगा है जिक्र उनका हर पल बातो में --- विजय
मैं पत्थरदिल पत्थर से इल्तजा भी क्या करूं ----- विजय
छायाचित्र छोड जिसने मुडकर भी न देखा कई प्रहर
शिकवा शिकायत उन्ही का ,,,हम मिलने नहीं आते ---- विजय
" सजदा ए तहरीर जिसकी बैठा किये पल पल ,
इल्जाम भी उन्ही का है.. हम काफ़िर हो गये " --- विजय
वो हंसते भी आँखों में है रोते भी आँखों में ,
रहने लगा है जिक्र उनका हर पल बातो में --- विजय
No comments:
Post a Comment