Saturday, 15 November 2014

" बालदिवस तो हो गया .."

बालदिवस तो हो गया ..
खूब हंगामा हुआ ..चर्चे खर्चे पर्चे सबकुछ 
भाषणबाजी नारेबाजी खिलाफत सबकुछ 
कितने बच्चो की रोटी का जुगाड़ हुआ 
कितनो की शिक्षा की देखाभाली 
कितने निर्वासित घर में पहुंचे
कितने अनाथो को मिले माली
सब चीख चीखकर गा बजा रहे थे
बालदिवस की मंगलकामना ||
चोकलेट भी खिलाई होगी अपनी औलादों को
खाना होटल से पिज्जा या चाउमीन ..
कुछ बेचारे भूखे सोये होंगे कुछ सडको पर लाचार
कोई माँ ढोती होगी रेत और पत्थर
धोती में पलने में धूपछाँव में सूख रहा बेजार
उसको भी कहकर मुबारक दे देते तुम इकबार
शर्मा जी के घर सन्नाटा वर्मा जी सर हाथ धरे
मालूम हो गया इनके घर लक्ष्मी ने पाँव धरे
सास फूलकर कुप्पा हो बैठी बहन हुई गोलगप्पा
कैसे दहेज जोड़ोगे अब ..बताओ लल्ली के पप्पा
गर पहले जांच करा लेते अब न गुल होता डब्बा
---- विजयलक्ष्मी

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