" जब मन धधकता है चिंगारी सी सुलग उठती हूँ ये सच है
जलाकर रख कर दूं कायनात सारी मशाल बनकर ये सच है
लेकिन मुझे मालूम है किसी के कहने से नहीं बदलता वजूद मेरा
मैं औरत आधी दुनिया मेरी है और बाकि बकाया आधी ..को जन्मना है मुझे
ये भी सच है ...इस दुनिया को बदलना भी है मुझे
संवारकर धरा को संवरना भी है मुझे
ओ पुरुष ,,स्वर्ग का निर्माण धरा पर भी करना है मुझे
विरोधी न बन सहयोग कर ..यही नहीं रुकना है मुझे "--- विजयलक्ष्मी
जलाकर रख कर दूं कायनात सारी मशाल बनकर ये सच है
लेकिन मुझे मालूम है किसी के कहने से नहीं बदलता वजूद मेरा
मैं औरत आधी दुनिया मेरी है और बाकि बकाया आधी ..को जन्मना है मुझे
ये भी सच है ...इस दुनिया को बदलना भी है मुझे
संवारकर धरा को संवरना भी है मुझे
ओ पुरुष ,,स्वर्ग का निर्माण धरा पर भी करना है मुझे
विरोधी न बन सहयोग कर ..यही नहीं रुकना है मुझे "--- विजयलक्ष्मी
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