" दिल की लगी से हम भी जरा दिल्लगी कर लेते हैं ,
गुनगुनाकर मुहब्बत जिन्दगी में रंग भर लेते हैं." ---- विजयलक्ष्मी
" हमने सुना,भीड़ में रहते हैं वही तन्हाई में रंगे हैं जो ,
खिलखिलाते हैं वही महफिल में काँटों से बिंधे हैं जो " --- विजयलक्ष्मी
" ओ गमों की दुनिया के शहंशाह, जरा ठहर ,जमी की बात कर,
मुस्कुराकर निकलते है वही ...गमो की कमी नहीं जिनके घर " .---- विजयलक्ष्मी
गुनगुनाकर मुहब्बत जिन्दगी में रंग भर लेते हैं." ---- विजयलक्ष्मी
" हमने सुना,भीड़ में रहते हैं वही तन्हाई में रंगे हैं जो ,
खिलखिलाते हैं वही महफिल में काँटों से बिंधे हैं जो " --- विजयलक्ष्मी
" ओ गमों की दुनिया के शहंशाह, जरा ठहर ,जमी की बात कर,
मुस्कुराकर निकलते है वही ...गमो की कमी नहीं जिनके घर " .---- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment