Thursday, 2 February 2017

" बेगैरत ये दुनिया,सफेद झूठ बोलती है ,,"

" बेगैरत ये दुनिया,सफेद झूठ बोलती है ,,
कल थी चुप्पी ओढ़े आज अहसास तौलती है ||

ढूँढने खजाना तोड़े दर औ दीवार,मेरे घर
बादलों पर पार नहीं बाढ़ को ट्यूवेळ खोलती है||

मांगी कब दौलत, अहसास खजाना संग
खामोशी भली,फरेबी तरीके विश्वास तोडती है ||

यूँही ताले तोड़ने वाला चोर कहा जाता है
पुलिस भी ताले बिना वारंट के कब तोडती है  ||

जिसने चखी है ख़ामोश तन्हाई मन की
पूछकर देखते उसी से शहनाई कैसे बोलती है || "
 ---- विजयलक्ष्मी



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