जिन्दगी जिन्दा रहती है जमीर से ,,
राजनीति जमीर खा रही है आजकल ||
राजनीति जमीर खा रही है आजकल ||
जरा देश से मुहब्बत करके तो देखिये
मुहब्बत ही गोते खा रही है आजकल ||
मुहब्बत ही गोते खा रही है आजकल ||
भूख खड़ी ही मिली बेहया सी खेत में
दूध,इक वक्त में माँ बिक रही है आजकल||
दूध,इक वक्त में माँ बिक रही है आजकल||
बड़ी मीठी सी महक है गाँव की गली की
शहर की सडक महक खा रही है आजकल ||
शहर की सडक महक खा रही है आजकल ||
यहाँ देह को गिनता ही कौन है इश्क में
वफा भी आत्मा को मना रही है आजकल ||
वफा भी आत्मा को मना रही है आजकल ||
प्रदेश की कसौटी पर भी नशा चढा मिला
शराबी की संगत ढूंढ रही है आजकल ||
शराबी की संगत ढूंढ रही है आजकल ||
स्वार्थपूर्ति में नेता करते मिले कमाल
जनता हर ढंग में कट रही है आजकल ||
जनता हर ढंग में कट रही है आजकल ||
दागियों ने मन्त्र फूंक दिया है इसतरह
झूठ की चादर ईमान बनी है आजकल ||
झूठ की चादर ईमान बनी है आजकल ||
न्याय बिका गाँधी की तस्वीर टांगकर
जानवर तक ख़ुदकुशी कर रहे हैं आजकल ||
जानवर तक ख़ुदकुशी कर रहे हैं आजकल ||
ज्योति देशप्रेम की बुझ-बुझकर जल रही
देशद्रोही टोली भी मत मांग रही है आजकल || ---- विजयलक्ष्मी
देशद्रोही टोली भी मत मांग रही है आजकल || ---- विजयलक्ष्मी
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