" गाँधी जी की जरूरत
कभी नाम के लिए ,,
कभी आराम के लिए
सोची नहीं कभी ईमान के लिए ,,
रखी सम्भालकर बकरी की वो रस्सी
खो गयी मगर बुनी जो भगतसिंह के वास्ते ,,
किसने की मुखबिरी आजाद के लिए ,,
कराओ तलाश उसकी भगवान के लिए
क्यूँकर गिरा जहाज ,,क्यूँकर मरे सुभाष ,,
लड़ते रहे जो देश के जवान को लिए ,,
न बिस्मिल की याद आई ,,
न महामना दिए दिखाई ,,
महाराणा की कहानी अधूरी क्यूँ सुनाई ,,
क्यूँकर बंटवारा देश का रास आया
कैसे किये वचन किसका था वो परछावा
राम की धरती किसने भेंट चढाई
लुटेरे और आतंकी हुए सभी आतताई
ताशकंद की घटना कैसे अंजाम पाई
सत्य छिपाया किसने ,,
गुनहगार कौन था ,,
ढूँढना होगा सत्य ,,इतिहासकार कौन था ,,
किसने झूठ बांचा ,,किसकी बिकी कलम थी ,,
वो कौन था जिसमें सच्चाई कम थी ,,
कातिल के साथ कातिल ,,न आँख नम थी ,,
पर्दे उठने चाहिए ,,
झूठ मिटने चाहिए ,,
पुराने सफे कभी तो पलटने चाहिए ,,
उलझे हुए पल सुलझने चाहिए ,,
ये अधिकार है हमारा ,, और कर्तव्य भी यही है ,,
कालेपानी में किसको क्या भोगना पड़ा ,,
किसने देशद्रोह किया ,,किसे सत्ता से प्यार था ,,
किसने ब्याहा आजादी को ,,
किसने लहू से दुल्हन सा श्रृंगार किया ? -------- विजयलक्ष्मी
कभी नाम के लिए ,,
कभी आराम के लिए
सोची नहीं कभी ईमान के लिए ,,
रखी सम्भालकर बकरी की वो रस्सी
खो गयी मगर बुनी जो भगतसिंह के वास्ते ,,
किसने की मुखबिरी आजाद के लिए ,,
कराओ तलाश उसकी भगवान के लिए
क्यूँकर गिरा जहाज ,,क्यूँकर मरे सुभाष ,,
लड़ते रहे जो देश के जवान को लिए ,,
न बिस्मिल की याद आई ,,
न महामना दिए दिखाई ,,
महाराणा की कहानी अधूरी क्यूँ सुनाई ,,
क्यूँकर बंटवारा देश का रास आया
कैसे किये वचन किसका था वो परछावा
राम की धरती किसने भेंट चढाई
लुटेरे और आतंकी हुए सभी आतताई
ताशकंद की घटना कैसे अंजाम पाई
सत्य छिपाया किसने ,,
गुनहगार कौन था ,,
ढूँढना होगा सत्य ,,इतिहासकार कौन था ,,
किसने झूठ बांचा ,,किसकी बिकी कलम थी ,,
वो कौन था जिसमें सच्चाई कम थी ,,
कातिल के साथ कातिल ,,न आँख नम थी ,,
पर्दे उठने चाहिए ,,
झूठ मिटने चाहिए ,,
पुराने सफे कभी तो पलटने चाहिए ,,
उलझे हुए पल सुलझने चाहिए ,,
ये अधिकार है हमारा ,, और कर्तव्य भी यही है ,,
कालेपानी में किसको क्या भोगना पड़ा ,,
किसने देशद्रोह किया ,,किसे सत्ता से प्यार था ,,
किसने ब्याहा आजादी को ,,
किसने लहू से दुल्हन सा श्रृंगार किया ? -------- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment