Saturday 6 June 2015

" वो कहाँ गये जिन्हें जख्म मिले देह पर और आत्मा पर छाले थे "

खबरनवीसों सोचो और पढो खबर अख़बार के हवाले से ,
क्यूँ आजादी की डायरी के पन्ने कुछ ही नाम सम्भाले थे ,
वो कहाँ गये जिन्हें जख्म मिले देह पर और आत्मा पर छाले थे 
घर दर छूटे जिनके जिन्दगी के भी पड़े लाले थे 
फखत कुछ क्यूँ बाकी जो आजादी से सत्ता सम्भाले थे ..
कौन है जो लगा ..उन्हें ढूँढने के प्रयास में
दफन कर दिए बलिदानों के नाम तक इतिहास में
क्या नेहरु गाँधी ही बस आजादी ले आये है,
उनका वारिस भी तो ढूंढो जो अपनी जान गंवाए हैं
कितने वीरो और वीरांगनाओ ने बरात चढाई आजादी के साथ
और सजाई सेज सुहाग मातृभूमि के साथ
सो गये जो वतन के मतवाले थे ..
इबादत ए इश्क ए वतन...जो भारत पर मिटने वाले थे
उनका क्या देखे ...लड़े या नहीं मगर वसीयत में गद्दी सम्भाले थे
--- विजयलक्ष्मी



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