Tuesday, 10 February 2015

" और बारात लौट गयी "

ममता बिकी
दूध की कीमत में कभी
कभी सुर्ख जोड़े की खातिर टोपी
दहेज ने  मौत को  गले लगाने को किया मजबूर
बिटिया दुल्हन बने कैसे
जेब में नहीं पैसे
और बारात लौट गयी
वो भी चुप था ...
पिता के आगे ,
कहता है बारात मैं ले आया ,,
अब तुम सम्भालो आगे
माँ अरमान हूँ ,,
पिता की शान हूँ
तुम्हारी जान हूँ
....तुम्हारे घरवालो ने कुछ तो जोड़ा होगा
ज्यादा नहीं तो थोडा होगा
प्रेमविवाह को कुछ तो अरेन्ज्ड बनाओ
कुछ नहीं पापा की अंगूठी
मम्मी को चेन ..
पापा को कहो मुझे कार में विदा कराओ
ममता बिकी
दूध की कीमत में कभी
कभी सुर्ख जोड़े की खातिर टोपी
दहेज ने  मौत को  गले लगाने को किया मजबूर
बिटिया दुल्हन बने कैसे
जेब में नहीं पैसे
और बारात लौट गयी  | ---विजयलक्ष्मी

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