ॐ नम: शिवाय ||
शिव की तपस्या का परिणाम थी गौरा,,
या गौरा के विश्वास की पराकाष्ठा का परिणाम
गरल पीकर जिन्दगी का रंग खिलाया धरा पर
जिन्दगी के कशमकश में विकल मचा कोहराम
बतरस आनन्द दुनिया भई स्वार्थ आठो याम
एक शिव हलाहल धार कंठ नीलकंठ हुआ नाम
मान रक्षा हित पितृ गृह जाकर भी तजे प्राण
विनाश सृष्टि का रचा देख प्रिया के तृषित प्राण
शिव ही सत्य शिव ही सुंदर शिव ही है कल्याण
वामांगी बनी धन्य शिव थे गौरा जगतजननी
शिव भोले में बस रहे जगतजननी के प्राण
विवाहोत्सव का पुनीत शिव को मिला कन्यादान
शिव तपस्वी ने किया गृहस्थ में सम्मान ----- विजयलक्ष्मी
शिव-पार्वती के विवाह समझाता है कि पुरुष और महिला का जीवन में ही नहीं बल्कि सृष्टि में समान अधिकार, वर्चस्व और स्थान है। ...शिव और शिवा एक-दूसरे से अलग होकर क्या वे सुखी रह सकते हैं ...और यदि नहीं तो संतुष्ट भाव से सृष्टि को कैसे सुख दे सकते हैं। शायद इसलिए ही शिव-पार्वती की जोड़ी को सबसे आदर्श दांपत्य के रूप में पूजा जाता है।
शिव को विश्वास था कि पार्वती के रूप में सती लौटेगी तो पार्वती ने भी शिव को पाने के लिए तपस्या ।
12. रामेश्वरम् त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग।
शिव की तपस्या का परिणाम थी गौरा,,
या गौरा के विश्वास की पराकाष्ठा का परिणाम
गरल पीकर जिन्दगी का रंग खिलाया धरा पर
जिन्दगी के कशमकश में विकल मचा कोहराम
बतरस आनन्द दुनिया भई स्वार्थ आठो याम
एक शिव हलाहल धार कंठ नीलकंठ हुआ नाम
मान रक्षा हित पितृ गृह जाकर भी तजे प्राण
विनाश सृष्टि का रचा देख प्रिया के तृषित प्राण
शिव ही सत्य शिव ही सुंदर शिव ही है कल्याण
वामांगी बनी धन्य शिव थे गौरा जगतजननी
शिव भोले में बस रहे जगतजननी के प्राण
विवाहोत्सव का पुनीत शिव को मिला कन्यादान
शिव तपस्वी ने किया गृहस्थ में सम्मान ----- विजयलक्ष्मी
शिव-पार्वती के विवाह समझाता है कि पुरुष और महिला का जीवन में ही नहीं बल्कि सृष्टि में समान अधिकार, वर्चस्व और स्थान है। ...शिव और शिवा एक-दूसरे से अलग होकर क्या वे सुखी रह सकते हैं ...और यदि नहीं तो संतुष्ट भाव से सृष्टि को कैसे सुख दे सकते हैं। शायद इसलिए ही शिव-पार्वती की जोड़ी को सबसे आदर्श दांपत्य के रूप में पूजा जाता है।
शिव को विश्वास था कि पार्वती के रूप में सती लौटेगी तो पार्वती ने भी शिव को पाने के लिए तपस्या ।
ॐ नम: शिवाय ||
बारह स्थानों पर शिव के 12 ज्योतिर्लिंग----
बारह स्थानों पर शिव के 12 ज्योतिर्लिंग----
1. सोमनाथ यह शिवलिंग गुजरात के काठियावाड़ में स्थापित है।
2. श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थातिप है श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग।
3. महाकाल उज्जैन के अवंति नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहां शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था।
4. ओंकारेश्वर ममलेश्वर मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदाने देने हुए यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।
5. नागेश्वर गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग।
6. बैजनाथ बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग।
7. भीमशंकर महाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग।
8. त्र्यंम्बकेश्वर नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग।
9. घुमेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गांव में स्थापित घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग।
10. केदारनाथ हिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग।
11. विश्वनाथ बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।
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