"शूल पर कदम तो फूल बनते है ,कलम तलवार बनती है ,
सुबकिया अंगार बनती है,जुबाँ चलती जैसे कटार चलती है..
हम रागिनी देश की गाते है ,सरहद वालो संभलकर रहना
यहाँ लहू हिन्दुस्तानी है ..गफलत में तो दुनिया चलती है "-- विजयलक्ष्मी
सुबकिया अंगार बनती है,जुबाँ चलती जैसे कटार चलती है..
हम रागिनी देश की गाते है ,सरहद वालो संभलकर रहना
यहाँ लहू हिन्दुस्तानी है ..गफलत में तो दुनिया चलती है "-- विजयलक्ष्मी
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