Tuesday 16 September 2014

कश्मीर का नया दर्द ..या काफिरी ?


" क्या ईस्लाम मे केवल पैसा आतंकवाद पर और
मदरसो पर खर्च
करना लिखा है ।।

ईस्लाम मे क्या हिन्दूओ और
सिक्खों की दी हुई खैरात खाना लिखा है "
----

" बाढ़ ,खुदाई कहर का इक मुद्दा ठहरा ,
शब्द खिलाफत भी काम काफ़िरी ठहरा .
अफ़सोस ,दर्द ..मदद इन्सान करते हैं
बोलना भी गुनाह मुद्दा काफिरी ठहरा .
संगीनों-दहशत की बिना पर जिन्दा धर्म ,
ख़ामोशी सबसे अच्छा हथियार ठहरा
मुर्दों की बस्ती में कितना भी चीखो
हर कब्र पर लगा है मुसलसल पहरा " ---- विजयलक्ष्मी

2 comments:

  1. अच्छी रचना ....
    पर इस मुद्दे को धर्म से न जोड़ा जाये ...मुद्दा इंसानियत का है :)

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  2. किन्तु यह सच है कि भारत मे 14 लाख मस्जिदें है ।।
    1000 मुस्लिम संस्थायें और अरबों रु बफ्फ़ बोर्ड में है पर बाढ पीड़ितों को किसी मस्जिद या किसी मुस्लिम संस्थाओं ने कोई मदद की ?
    नहीं की न ।
    और ये हैं स्वर्ण मंदिर का रसोई जहाँ से एक लाख पेकैट रोज बाढ़ पीड़ितों के लिए कश्मीर भेजे जा रहे हैं ।ये इंसानियत सिर्फ चंद लोगो के लिए में ही क्यूँ .सबको चाहिए हाथ बटाये ...फिर वक्फ बोर्ड क्यूँ नहीं ?

    देख लो कश्मीरियो जिन्हें तुमने पत्थर मारकर कश्मीर से भगा दिया आज वही तुम्हें "रोटी" खिला कर जिन्दा रख रहे हैं ।

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