" बुतकदे औ मैकदे सब सवाली मिले
मुझे लम्हा ए सफर सब खाली मिले ||
नयन ख्वाब में मन बरसात में रहे
जर्फ प्यास हर्फ अहसास से खाली मिले ||
ए जिंदगी तू जिंदा सी लगने लगी थी
मगर हर सफर क्यूँकर बेकरारी मिले ||
ईमान की अपान पर बैठ सोपान चढे जो
ढूँढा तो गहवर ख्याली साए बीतरागी मिले ||
सहमे से नग्मे बिकते से हम भरे बाजार
कीमत लगाते हमारी ही हमराही मिले ||
वो आसमां मेरी मुट्ठी मे पसरा हो जैसे
जीवन सफर तन्हा बेख्याली मिले ||" +-- विजयलक्ष्मी
मुझे लम्हा ए सफर सब खाली मिले ||
नयन ख्वाब में मन बरसात में रहे
जर्फ प्यास हर्फ अहसास से खाली मिले ||
ए जिंदगी तू जिंदा सी लगने लगी थी
मगर हर सफर क्यूँकर बेकरारी मिले ||
ईमान की अपान पर बैठ सोपान चढे जो
ढूँढा तो गहवर ख्याली साए बीतरागी मिले ||
सहमे से नग्मे बिकते से हम भरे बाजार
कीमत लगाते हमारी ही हमराही मिले ||
वो आसमां मेरी मुट्ठी मे पसरा हो जैसे
जीवन सफर तन्हा बेख्याली मिले ||" +-- विजयलक्ष्मी
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDelete