मौत के बाद का सन्नाटा ठहरा है यहाँ ,
शहर ए खामोशां की चीख सुनती है सिर्फ रूहों को ,
इन्सां डरते है झाँकने से वहाँ ..
गुनगुनाकर देख लो ,यकीन नहीं होता गर ...विजयलक्ष्मी
शहर ए खामोशां की चीख सुनती है सिर्फ रूहों को ,
इन्सां डरते है झाँकने से वहाँ ..
गुनगुनाकर देख लो ,यकीन नहीं होता गर ...विजयलक्ष्मी
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