ख्वाबों पर माना कोई रोक नहीं ,,
नागवार गुजरे ख्वाब कोई ठीक नहीं
मशक्कत ए पैमाना ए नजर हुई
माचिस में आफ़ताब कोई ठीक नहीं
खुशबू ओ गुल महकता उपवन
काँटों बिन यूँ गुलाब कोई ठीक नहीं
रंग ए नाज ओ अदा बिखरे से
बे-पर्दा बिखरे शबाब कोई ठीक नहीं
सितारों जड़ी चुनर ओढ़े यामिनी
नजर चुराले महताब कोई ठीक नहीं ---- विजयलक्ष्मी
नागवार गुजरे ख्वाब कोई ठीक नहीं
मशक्कत ए पैमाना ए नजर हुई
माचिस में आफ़ताब कोई ठीक नहीं
खुशबू ओ गुल महकता उपवन
काँटों बिन यूँ गुलाब कोई ठीक नहीं
रंग ए नाज ओ अदा बिखरे से
बे-पर्दा बिखरे शबाब कोई ठीक नहीं
सितारों जड़ी चुनर ओढ़े यामिनी
नजर चुराले महताब कोई ठीक नहीं ---- विजयलक्ष्मी
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