Wednesday, 15 April 2015

" माँ औ ममता का इकरार बहुत "

बेटे को घर- दौलत सब देदो ,,
मुझे जीने का अधिकार बहुत ||
वसीयत कब मागी बिटिया ने
आ जाये हिस्से गर प्यार बहुत||
रूठी ही कब देहलीज से बेटी
अपनेपन का इन्तजार बहुत ||
न दहेज न दरकार ए किस्मत
समझे न पराया इसरार बहुत ||
मंजूर विदाई भी कर लेती बेटी
माँ औ ममता का इकरार बहुत || ---- विजयलक्ष्मी 

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