न चैन पाकर न चैन खोकर ,
जिन्दगी बहुत अजीब हो तुम .
कभी तुमसा रईस कोई नहीं
कभी लगता कितनी गरीब हो तुम.
इक आंख हंसती हैं क्यूँ
दूसरी से लगती कम नसीब हो तुम
तुम्हारी बेवफाई रास आ रही है
वफा के दर के बहुत करीब हो तुम
हर रंग खूबसूरत है तेरा ए मुहब्बत
चाहे कितनी भी अजीब हो तुम .- विजयलक्ष्मी
जिन्दगी बहुत अजीब हो तुम .
कभी तुमसा रईस कोई नहीं
कभी लगता कितनी गरीब हो तुम.
इक आंख हंसती हैं क्यूँ
दूसरी से लगती कम नसीब हो तुम
तुम्हारी बेवफाई रास आ रही है
वफा के दर के बहुत करीब हो तुम
हर रंग खूबसूरत है तेरा ए मुहब्बत
चाहे कितनी भी अजीब हो तुम .- विजयलक्ष्मी
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