मुहब्बत की बस्ती न उजाडना मेरी ,
इसमें बस एक ही नाम तो लिखा रखा है हमने ,
किससे कह दूँ वो तमाम किस्से दिल के ,
हर लम्हे में तेरी मुहब्बत को छिपा रखा है हमने .
कोई लम्हा बीतता नहीं तुमसे जुदा होके ,
धडकनों पे भी तेरा ही नाम लिखा रखा है हमने .
भूल न हों जाये भूल से भी हमसे कोई ,
आइना भी अपना तुझको ही बना रखा है हमने .
कहीं बदनाम न हों जाओ, कैसे कहूँ तुमको ,
दुनिया के सामने खुद को झूठा बना रखा है हमने .- विजयलक्ष्मी
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