कभी मेरी नजर से भी देख ए चाँद मेरे चाँद को ,,
सोचती हूँ मगर न लग जाए नजर मेरे चाँद को || --- विजयलक्ष्मी
खामोशी में सुनो आहत दिल की आहट ,,
बयाँबाजी शब्दों की छोटी लगने लगेगी || --- विजयलक्ष्मी
हम चाँद या सूरज हैं नहीं ,,सितारे जैसी औकात नहीं ,,
जुगनू बन जलने की चाहत, जा बैठे जहां प्रकाश नहीं || --- विजयलक्ष्मी
सोचती हूँ मगर न लग जाए नजर मेरे चाँद को || --- विजयलक्ष्मी
खामोशी में सुनो आहत दिल की आहट ,,
बयाँबाजी शब्दों की छोटी लगने लगेगी || --- विजयलक्ष्मी
हम चाँद या सूरज हैं नहीं ,,सितारे जैसी औकात नहीं ,,
जुगनू बन जलने की चाहत, जा बैठे जहां प्रकाश नहीं || --- विजयलक्ष्मी
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