Monday 3 July 2017

" कैसी है बेबसी , शब्द खो गये "


कैसी है बेबसी , शब्द खो गये
ख्वाब पलकों के नाम हो गये ।।

समय थम गया मेरे नाम का
पल उम्रभर के तमाम हो गये ||

बैठे रहे जो सहर ए इन्तजार में
देखते देखते खुद शाम हो गये ||

मुस्कुराकर मिलते रहे राह में
किस्से बुढापे में जाम हो गये ||

पड़ने लगेगी देह पर झुर्रियां
बतायेंगे कितने जवान हो गये ||  
----- विजयलक्ष्मी

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