ख्वाब पलकों के नाम हो गये ।।
समय थम गया मेरे नाम का
पल उम्रभर के तमाम हो गये ||
बैठे रहे जो सहर ए इन्तजार में
देखते देखते खुद शाम हो गये ||
मुस्कुराकर मिलते रहे राह में
किस्से बुढापे में जाम हो गये ||
पड़ने लगेगी देह पर झुर्रियां
बतायेंगे कितने जवान हो गये ||
----- विजयलक्ष्मी
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