Monday 6 June 2016

" जाने कहाँ गुम हो जाती हैं बेटियां .."



जाने कहाँ गुम हो जाती  हैं बेटियां ..
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बेटियां ....टॉपर बेटी हो तो पिता का सीना गर्व से फूला नहीं समाता ,,,परीक्षाफल देखकर सबके बीच में बोलता है ये है मेरी बेटी .....डॉक्टर बनेगी ,इंजीनियर बनेगी ,,नहीं मेरी बेटी अध्यापिका बनेगी ...शिक्षित होकर शिक्षा बांटेगी समाज में ,सामाजिक कल्याण का काम करेगी ,,साल दर साल यही बातें चलती आ रही है और ......शायद यूँही दोहराई जाती भी रहेंगी ,,,सिर्फ कुछ दिन ..आकडे देखे तो रिजल्ट बहुत अच्छे और काम सबसे कम ...
जाने कहाँ खो जाती है ये बेटियां ...कौन सी दुनिया निगल जाती है इन्हें ....और उनके सपने समाज की देहलीज पर दम तोड़ देते हैं और ... गुम हो जाती हैं ये टॉपर बेटियां ? कहां दफन हो जाते हैं उनके सपने ? , विभिन्न सामाजिक कारण .........धन की कमी लड़कियों के हिस्से ही आती है ..अभिशाप बन जाता है उनका लडकी होना |
वाह रे समाज
सपने भी उन्ही के छीनता है
और
गलती भी उन्ही की ...
ताकत थी जो कभी घर की
कब कमजोरी भी बन गयी ?
जिनकी एक मुस्कुराहट सभी के चेहरे खिला देती थी
उम्र के साथ
वही हंसी चुभने लगती है
आँखों में पिता की
....क्यूँ आखिर ?

जबकि किसी तरह पास कर गए बेटों को भी हमारा समाज किसी न किसी तरह उच्च शिक्षा में दाखिला दिलवा ही देता है। जबकि बेटियों को किसी तरह विदा कर देने की जिम्मेवारी समझने वाला समाज उसे साधारण शिक्षा दिलाकर उन्हें ब्याहकर ‘मुक्ति’ पा लेता है।और जिन्दगी बस यूँही..
गर्म रोटी
पालक ,सरसोंकेपत्ते बिनती
माँ का हाथ बंटाती
कब गोबर संग लीप गयी ?
सपने अपने
मालूम नहीं कितनी
डॉ ,इंजीनियर, वैज्ञानिक
घूँघट काढ़े रगड़ रही हैं बर्तन
गन्ने की पोरी सा
छीलो मत दर्द को
रिसकर
टपकने लगेगा आँख से
आवारा होकर ..
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हां कई बेटियां आगे मनमुताबिक पढ़ पाती हैं। लेकिन उनमें से भी अधिकतर आगे चलकर घर-परिवार की जिम्मेदारियों (चूल्हे चौके ) में ही बांध दी जाती हैं/ बंधने को विवश कर दी जाती हैं। और इस तरह देश की जनगणना में कामकाजी महिलाओं वाले खाने में रहने की बजाये उनकी गिनती ही कहीं नहीं रह जाती है।
आखिर लडकियों की चाहतें हकीकत क्यों नहीं बन पातीं ? क्यों नहीं मिल पाता इनके सपनों को उड़ान के लिए आसमान ? सवाल सिर्फ एक है, वजहें कई-कई। और इनके जबाव न सिर्फ हमें तलाशने होंगे, बेटियों को जबाव देना भी होगा।
वही टॉपर बेटियाँ बन जाती है समाज पर बोझ !!.......आखिर क्यू...?
क्या है किसी के पास कोई जवाब ...यदि हाँ ...तो दीजिये न........
.||.- विजयलक्ष्मी




2 comments:

  1. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति ब्लॉग बुलेटिन - स्वर्गीय सुनील दत्त में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।

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  2. समय देगा जवाब पर आशा है बदलेगा बहुत कुछ धीमे ही सही ।

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