Monday, 14 March 2016

".कहो " रंगोत्सव की शुभकामना " कहो " हैप्पी प्रहलाद " |"

मत कहना " हैप्पी होली " !! डर लगता है...जब से अर्थ समझ आया है होलिका का..... तुम किसकी खैरमकदम कर रहे हो होली की.. या मार रहे हो जिन्दा बच गये प्रहलाद को ... ?
सोचकर देखना ..आखिर किस मन्तव्य को लेकर आगे बढ़ रहे हो...अपने भीतर के प्रहलाद को जला रहे हो इसीलिए होली की खुशियों को बढ़ाने का प्रयास सतत है.... और जोर जोर से चिल्लाते हो मिलकर " हैप्पी होली "स्वार्थी लोग होलिका की जिन्दा रहने की तर्ज पर स्वार्थ , रिश्वतखोरी ,मुनाफाखोरी को बढाने पर लगे हैं....|
प्रहलाद सत्य का पुजारी कौन पूछ रहा है उसे लेकिन सत्य के नियम मानने वाले सत्य से अलग किसी के आगे सर नहीं झुकाते सामने चाहे कोई भी क्यूँ न हो ... और हिरण्यकश्यप के साथ होलिका की मिलीभगत जहां मौजमस्ती की पराकाष्ठा स्वार्थ , रिश्वतखोरी ,मुनाफाखोरी मुहं खोले खड़ी है सुरसा की तरह ...और आप लोग भी उसी में शामिल हुए जा रहे हो ... इसीलिए ढोल-ताशों के साथ होलिका के स्वागत की तयारी करते रहते हो...अपने भीतर के प्रहलाद को मारते रहते हो तिलतिल कर ... |
प्रहलाद को जिन्दा रखना है तो ...

" मत कहो हैप्पी होली "...कहो " रंगोत्सव की शुभकामना " कहो " हैप्पी प्रहलाद " |
देशद्रोह को नहीं राष्ट्रवाद के सत्य को पहचानों और ... मुनाफाखोरी और रंगीन कागज की खरीदी गयी रंगीनियों में सत्य मर जाएगा एक दिन ..... रंगीन मिजाजी के मिजाज को पहचानो आसुरी शक्तियों से तारतम्य बैठाने वाले हिरण्यकश्यप के ही चेले चपाटे है .... जो राजनीती की बिसात पर शतरंजी चाल के वो पासा डाल रहे है जो जरासंध की अस्थियों से बना था.... JNU बिलकुल ताजा उदाहरण है ...और साथ देने वाले भी नाचने गाने में लगे है बरात सजाकर | जगह जगह पर चरित्रवान और ईमानदार को खत्म करने की साजिश हो रही है ...सत्य का रास्ता रोककर खड़े है JNU के वीसी की तरह ...| जहाँ झूठ और देशद्रोही को पनाह दी जा रही है ....सामने सामने सत्य की अर्थी सजा रहे हैं......श्मशान पहुँचाने के लिए भिन्न राजनैतिक पार्टियाँ कंधा लिए खड़ी है ..|
यानी कि नैतिकता के मन्दिर में अनैतिक बातें |
हैप्पी होली कहने से पहले सोचना.... किसकी तरफ खड़े हो...जनगण बने प्रहलाद की तरफ या ....सत्य की खिलाफत करते हिरण्यकश्यप और उसकी साथी होलिका की तरफ ...कौन से संस्कार भर रहे हो अपनी प्रहलाद सी औलाद में .... दौलत और सत्ता की भूख के लिए बेईमानी ,, हिंसा , स्वार्थ या .... सदगुण प्रहलाद की तरह सत्य का समावेश करने की चाहत है ...न हो बाद में पछताना पड़े... क्यूंकि स्वार्थ में संस्कार नहीं पनपते | हैप्पी रंगोत्सव के साथ अंतर्मन के प्रहलाद को प्रसन्न कीजिये सबल बनाइए ....हैप्पी होली नहीं.... कहिये " हैप्पी रंगोत्सव ,, आपके अंतर्मन का प्रहलाद आहलादित हो |
" ---- विजयलक्ष्मी

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