" शब्दों को रहने दो ,
शब्दों में कुछ नहीं,
छल कर सकते हैं
गर जीना है जिन्दगी की तरह ,
अहसास को जियो "
--- विजयलक्ष्मी
" जिसकी नजर में है उसीसे नजर छिपाए भी तो भला कैसे,
झूठ है सच गुनाह या पाकीजगी बताये भी तो भला कैसे ,"
---- विजयलक्ष्मी
" आँख में आंसूं हुए तो क्या ..हौसले बुलंद हैं,
मौत का खौफ क्यूँकर,जिन्दगी रजामंद है "
मौत का खौफ क्यूँकर,जिन्दगी रजामंद है "
------ विजयलक्ष्मी
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" भावनाए है इसीलिए जिन्दा है हंसते हैं रोते हैं ...
भाव रहित तो शायद ...बस पत्थर ही होते हैं "
भाव रहित तो शायद ...बस पत्थर ही होते हैं "
---- विजयलक्ष्मी
" चाँद की पतवार लिए सपनों की नाव समन्दर में जा गिरी ,
आँधियां भी साजिशन लहरों की अठखेलियों से जा मिली ."
---- विजयलक्ष्मी
" चाँद की पतवार लिए सपनों की नाव समन्दर में जा गिरी ,
आँधियां भी साजिशन लहरों की अठखेलियों से जा मिली ."
---- विजयलक्ष्मी
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