" कविता एक अनुभूति है एक अहसास है ,
कविता दिल की प्यास है ..
एक पूजा है मेरा खुदा है ,
कविता खुद में सबसे जुदा है ,
कविता साँस बन जाये अगर ...,
हर पल कविता लिखी जाए अगर ..
कैसे रंग बदलती कैसे मगर ..
सृजन जीवन का हिस्सा है ,
हर विनाश से अगला किस्सा है ,
उसे वक्त के लिए छोड़ दे ,
कलम के दीवाने लिखना कैसे छोड़ दे ,
ये बपौती नहीं किसी की ,
हों सकता है कि जिंदगी हों किसी की " --- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment