Tuesday 20 March 2018

ए रात उठ चल नाच ,, 39 भारतीयों को श्रद्धांजली ..

ए रात उठ चल नाच ,,
काली अँधेरे से घिरी गलियों में नाच
चले है अहसास की आंधी तू नाच
होक मेहरबाँ तू नाच ..

तारों के शामियाने लगे हैं वहां
अंधियारी हुई आँखों में दर्द की बारात
इन जख्मों पे होक फ़िदा तू नाच
ए रात उठ चल नाच ..

जश्न मनाया होगा इंसानियत के दुश्मन ने
मौत को भी घेरा होगा उसकी वहशत ने
मुलम्मा चढ़ा राजनीती का तू नाच
ए रात उठ चल नाच ..

कोई फतवा नहीं आएगा तेरे खिलाफ
गूंगे हुए हैं फतवादार सभी आजकी रात
उनकी चालाकियों की ताबिरी पे नाच
ए रात उठ चल नाच

दर्द की बहती नदी पर लगा पैरों की थाप
जलती हुई बस्ती है इंसानियत की आज
जश्न का पैगाम सुना तू नाच
ए रात उठ चल तू नाच

मेरी बगावत की जहरीली स्याही में तर
पढ़ अब पंख काटते हुए आँखों के हुनर
उठने से पहले होश तू नाच
ए रात उठ चल तू नाच

शहजादी वक्त की लहू की नदी में नहाकर
गुजरी थी उसी दरवाजे जहां बैठे है दगाबाज
कभी उनकी कफन पर रख पाँव तू नाच
ए रात उठ चल तू नाच ||
--------- विजयलक्ष्मी



जिंदगी के कुछ और बिखरती सांसों का मना ले जश्र ,
हंगामा नहीं बरपेगा यहां होगा सीधा तेरी मौत का जश्न ।।

------ विजयलक्ष्मी

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