विश्व खाद्य दिवस ...शुक्रिया ... धन्यवाद .........|
" किसान पेट भर रहा है हमारा भरता रहेगा ...
किसान मर रहा है भूखा ही मरता रहेगा
शुक्रिया कहना भी क्यूँ ..उसका काम ठहरा
हम चुकाते हैं पैसा ..उसके मरने जीने का क्या काम
हमे तो बस देने हैं उसके दाम ...फिर मरे या जिए जाने सरकार
हमे क्या करना है यार ,"
यही सोच है आज के इंसान की लेकिन ....कभी सोचा किसान मर गया तो ..........
मर गया तो ............सोचकर देखिये रोटी कहाँ से आएगी ...कहाँ से मिलेगा पेट भरने भरने का जुगाड़ ...गेहूं ,चावल ,दाल नहीं तो रोटी ब्रेड कुछ भी नहीं ...कितना तूफ़ान मचा है दाल की कीमत पर ...फिर इतनी भी नहीं
किसान धरती का बीटा वो ही भूखा मरे ..तो न्याय तो धरती ही करेगी ...नहीं देगी अन्न का दाना ..और आप और हम भूखो मरने की नौबत आ जाएगी यार ...सम्भल जाओ ---दलालों से बचाव किसान को ..ये बिचौलिए ही है जो महंगाई क्र रहे हैं .......ये बिचौलिए ही मजे लूट रहे हैं ...किसान को एक दिन नहीं हर दिन धन्यवाद अदा करें ...हर भोजन के बाद ..उसे उसके उपजाए अनाज की सही कीमत देकर ..जिससे उसे मृत्यु को गले न लगाना पड़े और ..हमे अन्न के लिए मोहताज न होने पड़े |
" किसान गर मरेगा ,,
तुम्हारा पेट कौन भरेगा
न पापा की कमाई ..
मम्मी की दुलराई ..रो रो इंसान मरेगा
आपाधापी करेगा ..
अभी लड़ता है गौ हत्या पर ..
इंसान ,इन्सान को खाकर मरेगा "
गर्मी सर्दी सब सहता औ धूप में करता काम
दाने दाने को उपजाता तपाता जीवन तमाम
यही है अन्नदाता और धरती पर भगवान
मेहनत इसकी.. पेट भरता हर इंसान
धरती के सीने को चीर करता अथक परिश्रम
इक इक दाना खून-पसीना हरियाता खलियान
साहूकारी कर्ज के नीचे बीज पानी का इंतजाम
कभी अकाल कभी बाढ़ से मर जाता है किसान
राजनैतिक झमेलों से दलाल मौज उड़ा रहे
जी तोड़ मेहनत करके भी भूखा मरता किसान ---- विजयलक्ष्मी
" किसान पेट भर रहा है हमारा भरता रहेगा ...
किसान मर रहा है भूखा ही मरता रहेगा
शुक्रिया कहना भी क्यूँ ..उसका काम ठहरा
हम चुकाते हैं पैसा ..उसके मरने जीने का क्या काम
हमे तो बस देने हैं उसके दाम ...फिर मरे या जिए जाने सरकार
हमे क्या करना है यार ,"
यही सोच है आज के इंसान की लेकिन ....कभी सोचा किसान मर गया तो ..........
मर गया तो ............सोचकर देखिये रोटी कहाँ से आएगी ...कहाँ से मिलेगा पेट भरने भरने का जुगाड़ ...गेहूं ,चावल ,दाल नहीं तो रोटी ब्रेड कुछ भी नहीं ...कितना तूफ़ान मचा है दाल की कीमत पर ...फिर इतनी भी नहीं
किसान धरती का बीटा वो ही भूखा मरे ..तो न्याय तो धरती ही करेगी ...नहीं देगी अन्न का दाना ..और आप और हम भूखो मरने की नौबत आ जाएगी यार ...सम्भल जाओ ---दलालों से बचाव किसान को ..ये बिचौलिए ही है जो महंगाई क्र रहे हैं .......ये बिचौलिए ही मजे लूट रहे हैं ...किसान को एक दिन नहीं हर दिन धन्यवाद अदा करें ...हर भोजन के बाद ..उसे उसके उपजाए अनाज की सही कीमत देकर ..जिससे उसे मृत्यु को गले न लगाना पड़े और ..हमे अन्न के लिए मोहताज न होने पड़े |
" किसान गर मरेगा ,,
तुम्हारा पेट कौन भरेगा
न पापा की कमाई ..
मम्मी की दुलराई ..रो रो इंसान मरेगा
आपाधापी करेगा ..
अभी लड़ता है गौ हत्या पर ..
इंसान ,इन्सान को खाकर मरेगा "
गर्मी सर्दी सब सहता औ धूप में करता काम
दाने दाने को उपजाता तपाता जीवन तमाम
यही है अन्नदाता और धरती पर भगवान
मेहनत इसकी.. पेट भरता हर इंसान
धरती के सीने को चीर करता अथक परिश्रम
इक इक दाना खून-पसीना हरियाता खलियान
साहूकारी कर्ज के नीचे बीज पानी का इंतजाम
कभी अकाल कभी बाढ़ से मर जाता है किसान
राजनैतिक झमेलों से दलाल मौज उड़ा रहे
जी तोड़ मेहनत करके भी भूखा मरता किसान ---- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment