अहसास ए रूह कयामत का आगाज देती है ,
कदम रुक जाते है चलते हुए जब आवाज देती है ..विजयलक्ष्मी
अहसास ए रूह रंग ए फिजा बदल जाती है
नयन से छलके आंसू में तस्वीर बन जाती है ..विजयलक्ष्मी
ये वक्त भी चल बसेगा रह गुजर से उनकी ,
उस रह गुजर का क्या हो जो गुजर न सकी ...विजयलक्ष्मी
वो मंजर जो बसे है नयनपट में ,
नयन कोर पर सिमट रहे है ढलक कर ..विजयलक्ष्मी
चलो पंछियों को कहे कोई और राग छेड़े ,
ये गीत अब वक्त को गुनगनाने दो मुहब्बत का ..विजयलक्ष्मी
सहरा न हो जाये जमी दरक न जाए फसाने ,
आओ समेट ले ख्वाब न खो जाये छलक कर ..विजयलक्ष्मी
कदम रुक जाते है चलते हुए जब आवाज देती है ..विजयलक्ष्मी
अहसास ए रूह रंग ए फिजा बदल जाती है
नयन से छलके आंसू में तस्वीर बन जाती है ..विजयलक्ष्मी
ये वक्त भी चल बसेगा रह गुजर से उनकी ,
उस रह गुजर का क्या हो जो गुजर न सकी ...विजयलक्ष्मी
वो मंजर जो बसे है नयनपट में ,
नयन कोर पर सिमट रहे है ढलक कर ..विजयलक्ष्मी
चलो पंछियों को कहे कोई और राग छेड़े ,
ये गीत अब वक्त को गुनगनाने दो मुहब्बत का ..विजयलक्ष्मी
सहरा न हो जाये जमी दरक न जाए फसाने ,
आओ समेट ले ख्वाब न खो जाये छलक कर ..विजयलक्ष्मी
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