रंग ए वजूद मेरा अब बदलना कैसा ,
देश पर मरना मिटना उनका भला कैसा
खा रहे है जो नोच नोच कर वतन को ,
उनसे कोई उम्मीद भी रखना भला कैसा ..विजयलक्ष्मी
देश पर मरना मिटना उनका भला कैसा
खा रहे है जो नोच नोच कर वतन को ,
उनसे कोई उम्मीद भी रखना भला कैसा ..विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment